- Get link
- X
- Other Apps
- Get link
- X
- Other Apps
।। मौसम भी बरसात।। बडा सुहाना लगता है।
पहली बारीश का,
पहला नशा या,
छाया नशा ये प्यार का,
कैसा ये समा है,
आया मौसम प्यार का है,
सुरज की तेज धुप से तपती धरती भी अपनी प्यास को बुझाने के लिये शांत आसमान को निहारती रहती है।
आखिर वो दिन भी आता है, जब बादल भी अपने आने का संदेश देते हुए जोरो-शोरो से आसमान मे चमकती बिजलीयो के साथ प्यासी धरती की तरफ निकल आता है।
बरसात को आता देख परिंदे भी आसमान का स्वागत करते है, इसी बीच इंशान भी बारीश का स्वागत करता ही है, साथ मै उस सुगंध को भी एहसास करता जो बारीश की पहली बुंद से आती है धरती को स्पर्श से।
।। मानो या ना मानो ।। प्यार का समा भी इसी बरसात मे अपने पंख फैलाये हुए बस और ढुबना चाहता है प्यार मे।
हँलो दोस्तों,
कैसी लगी आपको ये छोटी सी मन की बात,
और यदि आपको पसंद आयी या कैसी लगी, इस पर अपनी राय दे।।
पहली बारीश का,
पहला नशा या,
छाया नशा ये प्यार का,
कैसा ये समा है,
आया मौसम प्यार का है,
सुरज की तेज धुप से तपती धरती भी अपनी प्यास को बुझाने के लिये शांत आसमान को निहारती रहती है।
आखिर वो दिन भी आता है, जब बादल भी अपने आने का संदेश देते हुए जोरो-शोरो से आसमान मे चमकती बिजलीयो के साथ प्यासी धरती की तरफ निकल आता है।
बरसात को आता देख परिंदे भी आसमान का स्वागत करते है, इसी बीच इंशान भी बारीश का स्वागत करता ही है, साथ मै उस सुगंध को भी एहसास करता जो बारीश की पहली बुंद से आती है धरती को स्पर्श से।
।। मानो या ना मानो ।। प्यार का समा भी इसी बरसात मे अपने पंख फैलाये हुए बस और ढुबना चाहता है प्यार मे।
हँलो दोस्तों,
कैसी लगी आपको ये छोटी सी मन की बात,
और यदि आपको पसंद आयी या कैसी लगी, इस पर अपनी राय दे।।
Comments
Post a Comment